मुख्यपृष्ठ देश-समाज राजनीति फैक्ट-चेक हास्य व्यंग्य

January 21, 2023

ईश्वर और अल्लाह एक नहीं है। इस भेद को मेरे सभी मित्र समझे आशा करता हूं। आपको अच्छा लगेगा

 ईश्वर और अल्लाह एक नहीं है। इस भेद को मेरे सभी मित्र समझे आशा करता हूं। आपको अच्छा लगेगा 

 1. ईश्वर सर्वव्यापक (omnipresent) है। अल्लाह सातवें आसमान पर है।

2. ईश्वर सर्वशक्तिमान (omnipotent) है, वह कार्य करने में किसी के बाध्य नहीं है। जबकि अल्लाह को फरिश्तों, जिन्नों की सहायता लेनी पड़ती है।

3. ईश्वर न्यायकारी है, वह जीवों के कर्मानुसार नित्य न्याय करता है, जबकि अल्लाह केवल कयामत के दिन ही न्याय करता है, और वह भी उनका जो कब्रो में दफनाएं गए है।

4. ईश्वर दुष्टों केलिए  क्षमाशील नहीं  है , वह दुष्टों को उनके कर्मोनुसार दण्ड देता है। जबकि अल्लाह दुष्टों, बलात्कारियों को क्षमा कर देता है, (इस्लाम कबूल और मुसलमान बनने पर) मुसलमान बनने वालों के पाप को माफ़ कर देता है।

5. ईश्वर कहता है, "मनुष्य बनों", "मनुर्भव जनया दैव्यं जनम् ऋग्वेद १०.५३.६.

 जबकि अल्लाह कहता है मुसलमान बनो, सूरा-२, अलबकरा पारा-१, आयत-१३४,१३५,१३६

6. ईश्वर सर्वज्ञ हैं, जीवों के कर्मों की अपेक्षा से तीनों कालो की बातों को जानता है, जबकि अल्लाह अल्पज्ञ है, उसे पता ही नहीं था कि शैतान उसकी आज्ञा का पालन नहीं करेगा, अन्यथा शैतान को उत्पन्न ही क्यों करता?

7. ईश्वर निराकार एवं साकार है। जबकि अल्लाह शरीर रहित निराकार होकर भी एक आंख से देखता है। 

वेद कहता है कि (ईश्वर) ने इस परम कल्याणकारी वेदवाणी को सब लोगों के कल्याण के लिए दिया है। यजुर्वेद २६/

अल्लाह "काफिर" लोगों (गैरमुस्लिमों) को मार्ग नहीं दिखाता(१०.९.३७ पृ. ३७४) (कुरान 9:37).

8. ईश्वर कहता है सं गच्छध्वं सं वदध्वं सं वो मनांसि जानताम् देवां भागं यथापूर्वे संजानाना उपासते।। (ऋग्वेद २०/१९१/२)

भावार्थ- हे मनुष्यों ! मिलकर चलो, परस्पर मिलकर बात करो। तुम्हारे चित्त एक-समान होकर ज्ञान प्राप्त करो, जिस प्रकार पूर्व में विद्वान, ज्ञानीजन, सेवनीय प्रभु को जानते हुए उपासना करते आये है वैसे ही तुम करो। 

कुरान के अल्लाह कहते है "हे ईमान लाने वालो" मुसलमानों उन "काफिरों" (जो अल्लाह को न माने) गैर-मुस्लिमों से लड़ो जो तुम्हारे आसपास हैं और चाहिए कि वो तुममें सख्ती पायें। (११.९.१२३.पृ. ३९१) कुरान (9:123).

9. अज्येष्ठासो अकनिष्ठास एते सं भ्रातरो वावृधु: सौभाग्य। (ऋग्वेद ५/६०/५)

भावार्थ- ईश्वर कहता है कि हे संसार के लोगो! न तो तुममें कोई बड़ा है न कोई छोटा! तुम सब भाई-भाई हो। सौभाग्य की प्राप्ति के लिए आगे बढो़।

हे ईमान लाने वालो! (केवल एक अल्लाह की इबादत करने वालो) मुश्रिक (मूर्तिपूजकों) नापाक (अपवित्र) हैं। (१०.९.२८ पृ. ३७१) कुरान 9:28.

10. कुरान के अल्लाह को पूर्ण ज्ञान नहीं है वे मुसलमानों का इम्तहान लेता है। तभी तो इब्राहिम के पुत्र की कुर्बानी मांगी।

गीता का ईश्वर सर्वज्ञ हैं अर्थात मन की बात को भी जानता है उसे इम्तहान लेने की आवश्यकता नहीं है न ही ईश्वर बाध्य है, ईश्वर अन्तर्यामी है।

11. अल्लाह जीवों और काफिरों के प्राण लेकर खुश होता है। गीता का ईश्वर मानव व जीवों की सेवा , भला, दया करने पर प्रसन्न होता है।

ऐसे तो अनेक प्रमाण हैं लेकिन बुद्धिमान लोग समझ जायेंगे, कि ईश्वर और अल्लाह एक नहीं है।

🚩🚩 जय सनातन धर्म, जय श्री कृष्ण जी  🚩🚩

No comments:

Post a Comment

कमेन्ट पालिसी
नोट-अपने वास्तविक नाम व सम्बन्धित आर्टिकल से रिलेटेड कमेन्ट ही करे। नाइस,थैक्स,अवेसम जैसे शार्ट कमेन्ट का प्रयोग न करे। कमेन्ट सेक्शन में किसी भी प्रकार का लिंक डालने की कोशिश ना करे। कमेन्ट बॉक्स में किसी भी प्रकार के अभद्र भाषा का प्रयोग न करे । यदि आप कमेन्ट पालिसी के नियमो का प्रयोग नही करेगें तो ऐसे में आपका कमेन्ट स्पैम समझ कर डिलेट कर दिया जायेगा।