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May 3, 2020

बलिदानी मेजर अनुज सूद के ब्रिगेडियर पिता, 3 महीने पहले हुई थी शादी, उसने वही किया जो उसका कर्तव्य था

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ब्रिगेडियर सूद ने कहा कि उन्हें मेजर अनुज की पत्नी के लिए ज्यादा दुःख हो रहा है। उनकी शादी 3-4 महीने पहले ही हुई थी। उन्होंने कहा कि ये तो उनके बेटे का कर्तव्य था, जो उन्होंने निभाया। उनका काम ही था कि वो लोगों की जान बचाएँ।

जम्मू कश्मीर के हंदवाड़ा में आतंकियों के साथ हुए मुठभेड़ में 5 जवान वीरगति को प्राप्त हुए। उनमें से एक नाम मेजर अनुज सूद का भी है, जिन्होंने देश के लिए प्राण न्यौछावर कर दिया। उनके पिता ब्रिगेडियर चंद्रकांत सूद (रिटायर्ड) ने कहा है कि उनके बेटे ने सबसे बड़ा बलिदान दिया है। आँखों में आँसू लिए पिता ने कहा कि उनके बेटे के साथ जो हुआ, वो तो उसकी ड्यूटी का हिस्सा था। सूद ने कहा कि उनके बलिदानी बेटे को इसीलिए ही तो ट्रेनिंग मिली थी।

एक पिता के ये शब्द काफ़ी झकझोड़ने वाले हैं। ख़ासकर जम्मू कश्मीर की उस जनता के लिए, जिन्हें बचाने के लिए सेना के जवानों ने अपना परम बलिदान दिया। पिता भले ही सेना में रहे हों, लेकिन फिर भी वो एक पिता हैं। भले ही सेना में उन्हें या उनके बेटे को कड़ी ट्रेनिंग मिली हो, देशभक्ति उनके रग-रग में हो-लेकिन इस उम्र में उनके लिए बेटे की मौत से बड़ा सदमा शायद कुछ हो ही नहीं सकता था।

ब्रिगेडियर सूद ने कहा कि उन्हें मेजर अनुज की पत्नी के लिए ज्यादा दुःख हो रहा है। उनकी शादी 3-4 महीने पहले ही हुई थी। उन्होंने कहा कि ये तो उनके बेटे का कर्तव्य था, जो उन्होंने निभाया। उनका काम ही था कि वो लोगों की जान बचाएँ। हंदवाड़ा में हुए मुठभेड़ में 12 घंटों तक गोलीबारी होती रही, जिसके बाद वीरगति को प्राप्त जवानों से सम्पर्क टूट गया था। बाद में ऑपरेशन चला कर लश्कर के कमांडर हैदर को मार गिराया गया।
He has made a supreme sacrifice. It was part of his duty&what he was trained for. I feel sad for his wife as they just got married 3-4 months back. He was meant to save lives: Rtd Brig Chandrakant Sood, father of late Major Anuj Sood, who lost his life in an encounter in Handwara
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सेना को सूचना मिली थी कि आतंकवादी कुपवाड़ा जिले के चंजी मोहल्ला, हंदवाड़ा में एक घर में लोगों को बंधक बना रहे हैं। सेना और जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा एक संयुक्त अभियान शुरू किया गया था। सेना के 5 और जेके पुलिस के 1 जवान ने फँसे लोगों को निकालने के लिए उस घर में प्रवेश किया। नागरिकों के जानमाल को क्षति न पहुँचे, इसके लिए सेना ने बाहर से हमले की बजाए अंदर जाना उचित समझा।

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